चंपावत

अधूरे शिक्षक और स्टाफ के चलते पढ़ाई की गुणवत्ता प्रभावित

शिक्षण संस्थानों की बदतर स्थिति पर उठे सवाल अध्यापकों और स्टाफ की कमी से शिक्षा प्रभावित

बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए विद्यालय होना जरूरी है, लेकिन जिले के अधिकांश सरकारी विद्यालयों में अध्यापक और स्टाफ की भारी कमी के कारण पढ़ाई का स्तर गिरता जा रहा है। पहले ऋषि-मुनी खुले वातावरण में वेद, पुराण, धनुर्विद्या समेत अनेक विषयों की शिक्षा देते थे, जबकि आज नब्बे प्रतिशत से अधिक स्कूलों में स्थाई प्रधानाचार्य तक नहीं हैं।
चंपावत जिले में अधिकांश विद्यालयों में सभी विषयों के अध्यापक नहीं हैं। कुछ स्कूलों में अतिथि शिक्षक तैनात हैं, लेकिन इससे पढ़ाई का स्तर सुधार नहीं पा रहा। कई विद्यालयों में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी नहीं होने के कारण साफ-सफाई और प्रशासनिक कार्यों में भी समस्या आ रही है। 70 प्रतिशत स्कूलों में घंटी बजाने का काम बच्चे करते हैं।
विद्यालयों में खेलने के मैदान की कमी और बारिश के दौरान टपकती छत जैसी समस्याएं भी आम हैं। हाल ही में पीएम श्री विद्यालय रा.इ.का. मूलाकोट का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है, जिसमें बताया गया कि प्रधानाचार्य, अध्यापक और स्टाफ के अभाव से जो स्कूल पहले नंबर पर रहता था, उसकी हालत बेहद खराब हो गई है।
स्थानीय लोगों और शिक्षाविदों का कहना है कि सरकारों को केवल स्कूल का नाम बदलने और उच्चीकरण करने के बजाय समुचित व्यवस्थाएं सुनिश्चित करनी चाहिए। अगर हर विषय के अध्यापक, स्थाई प्रधानाचार्य और कर्मचारी नहीं मिलेंगे, तो प्राथमिक विद्यालयों के बाद इंटर कालेजों में भी ताले लगना शुरू हो जाएंगे। सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले अधिकांश बच्चे गरीब परिवारों से हैं, जो निजी स्कूलों की फीस नहीं दे पाते।
चंपावत के सरकारी विद्यालयों की इस खस्ता हालत पर प्रशासन और सरकार की ध्यान देने की सख्त जरूरत है, अन्यथा शिक्षा का भविष्य दांव पर लगेगा।

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