आठ साल से भर्ती का इंतजार कर रहे ब्रिज कोर्स अभ्यर्थी
पूर्ण योग्यता होने के बावजूद सरकार नहीं दे रही अवसर
जिले के ब्रिज कोर्स कर चुके अभ्यर्थियों का अब सब्र का बांध टूटने की कगार पर है। इन अभ्यर्थियों का कहना है कि पूर्ण योग्यता होने के बावजूद सरकार उन्हें शिक्षक भर्ती में शामिल नहीं कर रही है। पिछले आठ साल से भर्ती का इंतजार करते-करते अब वे निराश हो चुके हैं।
अभ्यर्थियों ने बताया कि उन्होंने बीएड करने के बाद राज्य के मान्यता प्राप्त विद्यालयों में पढ़ाना शुरू किया था। इसी बीच आरटीई नियम के तहत यह निर्देश आया कि जिन शिक्षकों के पास न्यूनतम शिक्षण योग्यता नहीं है, वे विद्यालयों में नहीं पढ़ा सकते। इसके बाद भारत सरकार के आदेशानुसार देशभर में एक से पांच तक पढ़ाने वाले अप्रशिक्षित शिक्षकों को डीएलएड और बीएड धारकों को ब्रिज कोर्स (पीडीपीइटी) करना अनिवार्य किया गया, ताकि वे प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ा सकें।
अभ्यर्थियों ने बताया कि वर्ष 2017 से 2019 के बीच एनआईओएस के माध्यम से यह कोर्स कराया गया, जिसमें अप्रशिक्षित शिक्षकों को 18 माह का डीएलएड और बीएड धारकों को छह माह का ब्रिज कोर्स करवाया गया। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद डीएलएड अभ्यर्थियों को प्राथमिक भर्ती में शामिल कर लिया गया, लेकिन ब्रिज कोर्स करने वालों को आज तक मौका नहीं दिया गया है।
अभ्यर्थियों ने बताया कि पहले से नियुक्त बीएड शिक्षकों को भी सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार ब्रिज कोर्स करवाया गया है और 2018 से 2023 के बीच नियुक्त हुए बीएड अभ्यर्थियों को भी दो वर्ष के भीतर कोर्स पूरा करना आवश्यक है। इसके बावजूद 2017-19 में ब्रिज कोर्स पूरा करने वाले बीएड अभ्यर्थियों को भर्ती प्रक्रिया से बाहर रखा गया है।
अभ्यर्थियों का कहना है कि अनेक लोगों की उम्र सीमा अब पार हो चुकी है, इसलिए सरकार को उन्हें पहले किए गए आवेदन के आधार पर नियुक्ति प्रदान करनी चाहिए, साथ ही आगामी भर्तियों में आयु सीमा में छूट भी दी जानी चाहिए। उन्होंने बताया कि उनका मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है।
चंपावत जिले के ब्रिज कोर्स धारकों ने एक बैठक आयोजित की, जिसमें नारायण गहतोड़़ी, प्रकाश कुमार, अशोक, सुभाष चंद्र, निखिल सिंह, अमित बोहरा सहित अनेक लोग शामिल हुए। सभी ने सरकार से मांग की कि उन्हें भी भर्ती में शामिल कर न्याय प्रदान किया जाए।



