कांग्रेस के नए प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल के शपथ ग्रहण समारोह में पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने एक ऐसा बयान दिया, जिसने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। रावत ने मंच से कहा कि समाज में बहुत सारे विष पुरुष हैं और कांग्रेस को ऐसे लोगों से सावधान रहना होगा। उनका कहना था कि कांग्रेस का कल्याण तभी संभव है, जब पार्टी ऐसे विष पुरुषों को अपने बीच न रहने दे।
हरीश रावत ने अपनी बात को और स्पष्ट करते हुए कहा कि उनके लिए व्यक्तिगत रूप से किसी का विष लेना कोई समस्या नहीं है, लेकिन कांग्रेस के लिए यह खतरे की घंटी है। उन्होंने यह भी जोड़ दिया कि बिहार चुनाव के अनुभव ने कांग्रेस पर नए दायित्व रखे हैं और पार्टी को अपने भीतर की कमजोरियों से निपटना होगा।
बीजेपी के वरिष्ठ नेता और विधायक विनोद चमोली ने हरीश रावत के बयान को गंभीरता से सुना और इसे आपत्तिजनक करार दिया। चमोली का कहना है कि हरीश रावत अपने ही कार्यकर्ताओं को विष पुरुष कह रहे हैं, जो दर्शाता है कि कांग्रेस की अंदरूनी हालत कितनी असंतुलित है। उनके अनुसार, जिस पार्टी के दम पर कांग्रेस अगला चुनाव लड़ रही है, उसमें वरिष्ठ नेता ही अपनी ही पार्टी के कार्यकर्ताओं को खतरा मान रहे हैं।
बीजेपी नेता ज्योति प्रसाद गैरोला ने इस बयान को कांग्रेस की पूरी मानसिक और संगठनात्मक दशा का प्रतिबिंब बताया। उनके शब्दों में, कांग्रेस आज जहर और नफरत का पर्याय बन गई है। यदि यह प्रवृत्ति जारी रही, तो पार्टी इसी विष के वातावरण में समाप्त हो जाएगी।
हरीश रावत का यह बयान केवल व्यक्तिगत भावनाओं का परिणाम नहीं बल्कि पार्टी के भीतर मौजूद असंतोष और रणनीतिक संकट का संकेत भी है। वरिष्ठ नेताओं का आक्रोश, कार्यकर्ताओं की असहमति और आगामी चुनाव का दबाव, सभी मिलकर इस तरह की टिप्पणी को जन्म देते हैं।
बीजेपी ने इस बयान का इस्तेमाल कांग्रेस के संगठनात्मक संकट को उजागर करने के लिए किया है। यह सवाल उठता है कि क्या कांग्रेस अपने अंदरूनी विष को बाहर निकाल पाएगी, या यही विष पार्टी को आगामी चुनाव में कमजोर कर देगा।



