देहरादून

विधानसभा के विशेष सत्र के दूसरे दिन स्थायी राजधानी, मूल निवास और गरीब विरोधी नीतियों पर विधायक आमने-सामने

हंगामेदार रहा  विशेष सत्र का दूसरा दिन

उत्तराखंड राज्य स्थापना के रजत जयंती वर्ष पर विधानसभा का विशेष सत्र अपने दूसरे दिन हंगामेदार रहा। दो दिवसीय सत्र अब विधायकों की मांग पर बढ़ाकर तीन दिन का कर दिया गया है। विशेष सत्र में राज्य के 25 साल के विकास की समीक्षा और भविष्य के 25 साल के रोडमैप पर चर्चा हो रही है।
सत्र के दूसरे दिन सदन में स्थायी राजधानी, मूल निवास, अतिक्रमण नीति और गरीब विरोधी नीतियों जैसे मुद्दों ने हंगामा मचा दिया। भाजपा विधायक विनोद चमोली ने स्थायी राजधानी और मूल निवास को लेकर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि प्रदेश में अब ऐसा हो गया है कि 15 साल पहले आने वाला व्यक्ति निवासी बन गया है, जबकि मूल निवासियों को अब भी ढूंढना पड़ रहा है। चमोली ने आरोप लगाया कि कुछ लोग उत्तराखंड में पॉलिटिकल टूरिज्म कर पैसा कमा रहे हैं और लोगों को गुमराह कर बड़े राजनेता बनने की कोशिश कर रहे हैं।
हरिद्वार के बसपा विधायक मोहमद शहजाद ने कहा कि मूल निवास केवल पहाड़ी क्षेत्रों को दिया जा रहा है, जबकि हरिद्वार को अस्थाई प्रमाण पत्र मिल रहा है। इससे सरकारी नौकरियों पर हरिद्वार के लोगों का नुकसान हो रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार अवैध कब्जे हटाने का दावा तो करती है, लेकिन अगर वह कागज़ों में प्रमाणित नहीं है, तो मुक्त हुई जमीन गरीबों को दे।
विपक्ष के उपनेता भुवन कापड़ी ने प्रदेश सरकार पर आरोप लगाया कि यह गरीबों की जमीन अमीरों को देकर अमीर विरोधी नहीं, बल्कि गरीब विरोधी सरकार साबित हो रही है। उन्होंने उदाहरण दिया कि लाला रामदेव और उनके सहयोगियों को करोड़ों की जमीन मामूली कीमत पर दी गई।
हल्द्वानी के विधायक सुमित हृदयेश ने कहा कि बनफुलपुरा के निवासी स्थायी हैं और सरकार उन्हें अतिक्रमणकारी बताकर अपमानित कर रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि विशेष धर्म के लोगों को निशाना बनाकर बेघर करने का प्रयास किया जा रहा है।
सत्र में स्थायी राजधानी गैरसैंण का मुद्दा भी उठा। खानपुर से निर्दलीय विधायक उमेश कुमार ने कहा कि 25 साल में राज्य को स्थायी राजधानी नहीं मिली, तो अगले 25 साल का रोडमैप कैसे बनेगा? उन्होंने सदस्यों से पूछा कि क्या कोई गैरसैंण को राजधानी बनाने का समर्थन करता है, लेकिन किसी ने हाथ नहीं उठाया। उनका कहना था कि आंदोलनकारियों की मूल भावना थी कि पहाड़ का राज्य, पहाड़ की राजधानी यानी गैरसैंण होनी चाहिए।
उत्तराखंड विधानसभा विशेष सत्र अब तीन दिन तक चलेगा, जिसमें सभी विधायक राज्य के 25 साल के विकास और भविष्य की 25 साल की योजना पर विस्तृत चर्चा करेंगे। इस सत्र में न केवल प्रशासनिक और विकास संबंधी मुद्दों पर बहस होगी, बल्कि प्रदेश के मूल निवासियों के अधिकार, स्थायी राजधानी, शिक्षा, स्वास्थ्य और गरीबों के हक़ से जुड़े मुद्दे भी प्रमुख रहेंगे।

आंदोलनकारियों से की सीएम ने मुलाकात

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चौखुटिया में स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करने के लिए आंदोलन कर रहे प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की। उन्होंने चौखुटिया अस्पताल की क्षमता 30 से बढ़ाकर 50 बेड करने और डिजिटल एक्स-रे मशीन उपलब्ध कराने का आदेश दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि वे स्वास्थ्य विभाग की समीक्षा स्वयं करेंगे और प्रदेश के दूरस्थ क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करने के लिए निरंतर कार्य किया जा रहा है।

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