ऐतिहासिक बनी आईएमए पासिंग आउट परेड
थल सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने नए अफसरों संग लगाए पुशअप, 491 कैडेट्स हुए कमीशंड,

भारतीय सैन्य अकादमी (आईएमए) में आयोजित पासिंग आउट परेड इस बार कई मायनों में ऐतिहासिक और यादगार रही। इस गौरवशाली समारोह के साक्षी स्वयं थल सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी बने। चेटवुड भवन के सामने ड्रिल स्क्वायर पर आयोजित भव्य परेड में कुल 491 ऑफिसर्स कैडेट्स ने प्रशिक्षण पूर्ण कर भारतीय सेना में कमीशन प्राप्त किया। पूरे परेड मैदान में जोश, अनुशासन और गर्व का माहौल देखने को मिला।
परेड में रिव्यूइंग ऑफिसर के रूप में जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कैडेट्स की शानदार ड्रिल का निरीक्षण किया। इसके बाद उन्होंने नव-नियुक्त अधिकारियों को संबोधित करते हुए उन्हें उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं दीं और राष्ट्र सेवा के पथ पर पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ आगे बढ़ने का संदेश दिया।
कार्यक्रम का सबसे खास और प्रेरणादायक पल तब आया, जब पिपिंग सेरेमनी के दौरान थल सेना प्रमुख स्वयं मैदान में पहुंचे। उन्होंने नए अधिकारियों के साथ फोटो खिंचवाई और अचानक उनके साथ पुशअप लगाना शुरू कर दिया। सेना प्रमुख का यह अनोखा अंदाज देखकर वहां मौजूद कैडेट्स, उनके परिजन और अन्य अतिथि हैरान रह गए। इस अनौपचारिक लेकिन उत्साहवर्धक कदम से उन्होंने युवा अधिकारियों का मनोबल बढ़ाया और अपने शुरुआती सैन्य जीवन की यादों को भी ताजा किया।
इस अवसर पर अकादमी में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले कैडेट्स को सम्मानित किया गया। स्वोर्ड ऑफ ऑनर और स्वर्ण पदक निष्कल द्विवेदी को प्रदान किया गया। वहीं रजत पदक बादल यादव और कांस्य पदक कमलजीत सिंह को मिला। विदेशी कैडेट्स की श्रेणी में बांग्लादेश के मोहम्मद सफीन अशरफ ने प्रथम स्थान प्राप्त कर पदक अपने नाम किया।
अपने संबोधन में जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कहा कि युवा अधिकारियों का उच्च स्तरीय अनुशासन, नेतृत्व क्षमता और सहनशक्ति सराहनीय है। उन्होंने कहा कि सेना में कमीशन प्राप्त करना केवल प्रशिक्षण की समाप्ति नहीं, बल्कि राष्ट्र के प्रति आजीवन कर्तव्य और निस्वार्थ सेवा की शुरुआत है।
थल सेना प्रमुख ने मौजूदा वैश्विक और क्षेत्रीय सुरक्षा परिदृश्य का जिक्र करते हुए कहा कि पड़ोसी देशों और दुनिया भर में प्रतिस्पर्धा लगातार बढ़ रही है। अत्याधुनिक हथियारों और तकनीक का उपयोग बढ़ा है, ऐसे में युवा अधिकारियों के सामने अवसरों के साथ-साथ चुनौतियां भी कहीं अधिक हैं।
उन्होंने यह भी बताया कि भारतीय सेना समय के साथ खुद को आधुनिक बना रही है और नए उपकरणों व तकनीकों को तेजी से अपनाया जा रहा है। इस दौरान जनरल द्विवेदी ने ऑपरेशन सिंदूर का उल्लेख करते हुए बेहतर कूटनीति, सीमित युद्ध रणनीति, आधुनिक हथियारों और सेना के अनुशासित कदमों की भी सराहना की।
अंत में उन्होंने नए अधिकारियों से भारतीय सेना की गौरवशाली परंपराओं को निभाने, ईमानदारी, प्रतिबद्धता और सम्मान के साथ देश की सेवा करने का आह्वान किया।



