राजनैतिक

जानिए कोई भी सांसद अब विकास निधि के लिये न क्यूँ नहीं कहेगा ?

दो साल के कोरोना काल में अमूमन हर सांसद का यही जबाब आपको भी सुनने को मिला होगा कि केंद्र सरकार ने सांसद निधि पर रोक लगाई हुई है | लेकिन अब एक बार फिर आपके पास मौका है, अपने सांसद से उसके एमपी फंड में से अपना हिस्सा मांगने का | क्यूंकि मोदी कैबिनेट बैठक में लिए गए महत्वपूर्ण निर्णयों में एक था सांसद निधि का फिर से विकास कार्यों के लिए उपयोग की अनुमति | गौरतलब है कि वर्ष 2019-20 और 20-21 में इस फंड का उपयोग पूरी तरह कोविड कार्यों के लिए किया गया था |

  बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में लिए अहम फैसलों में एक था सांसदों से जुड़ा एमपीलैड स्कीम के पैसों के इस्तेमाल का । दरअसल कोरोना की महामारी से लड़ने के लिए केंद्र सरकार ने 2019 में सांसद विकास निधि के विकास कार्यों में इस्तेमाल पर रोक लगा दी थी | मोदी सरकार ने इस निधि को कोविड से लड़ने के लिए आरक्षित किया था । लेकिन अब कोरोना के प्रकोप कम होने के बाद केंद्रीय कैबिनेट ने एक बार फिर से इस एमपीलैड स्कीम शुरू करने की अनुमति दी है । यानि अब फिर से सांसदों को विकास कार्यों के लिए पैसे मिलने शुरू हो जाएंगे । फिलहाल इसके लिए अब उन्हें 2-2 करोड़ रुपए की राशि विकास कार्यों के लिए मिलेगी । जिसे अगले साल से पूर्ववृति वर्षों की तरह 5-5 करोड़ हो जाएगी ।

मोदी सरकार की एमपीलैड स्कीम पर रोक हटाने से जहां एक और कार्यकर्ताओं जनता की उम्मीद अपने सांसद फिर से बढ्ने के साथ ही सांसदों की सिरदर्दी भी बढ्ने वाली है | बरहाल जो भी हो लेकिन इस निर्णय के बाद संसदीय छेत्रों में छोटी-छोटी विकास योजनाओं पर फिर से पंख लगना तय है |

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