क्यूँ वादे से मुकरना केजरीवाल को पड़ा मंहगा, हाईकोर्ट ने पूछा आपका भुगतान करने का इरादा है कि नहीं ?

लोक लुभावन वादे करने में आम आदमी पार्टी का कोई सानी नही है । लेकिन लॉकडाउन के दौरान्ं दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल का एक वादा उनको मंहगा पड़ सकता है । दरसल कोरोना की पीक में राजधानी में रहने वाले प्रवासियों को लुभाने के लिये उन्होने किराया देने का वादा किया था । जिस पर अब हाईकोर्ट ने केजरीवाल सरकार से पूछा है कि आपका भुगतान करने का इरादा है कि नहीं ? इस पर जवाब देते हुए सरकार ने कहा है कि हमने ऐसा कोई वादा नहीं किया था।
यहाँ सबसे पहले जानना जरूरी है कि केजरीवाल ने क्या कहा था?
दरअसल कोविड काल में प्रवासी लोगों की आर्थिक दिक्कतों के चलते हुए सीएम केजरीवाल ने दिल्ली के सभी मकान मालिकों से अपील की थी कि वे किराएदारों को परेशान ना करें और उन्हे किराया चुकाने के लिए 2-3 महीने की मोहलत दे दें । इस पर भी कोरोनाकाल दूर होने के बाद यदि कोई किराएदार किराया नहीं देता है तो दिल्ली सरकार उसका किराया देगी ।
फिलहाल इस सारे मसले पर याचिकाकर्ता की तरफ से पेश हुए वकील गौरव जैन ने कहा न्यायालय के सामने अपील की थी कि उनके क्लाइंट के पास किराया भुगतान की व्यवस्था नहीं है। लिहाजा वह दिल्ली सरकार से भुगतान के निर्देश देने के निर्देश दे | गौरतलब है कि इस मामले में दिल्ली की सिंगल बेंच कोर्ट सरकार को किराया भुगतान करने का पहले ही आदेश दे चुकी है। जिस पर केजरीवाल सरकार की अपील पर दिल्ली हाईकोर्ट ने इस फैसले पर स्टे दे दिया था। मामले की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने केजरीवाल की तरफ से पेश हुए सीनियर वकील मनीष वशिष्ठ से पूछा कि आपका भुगतान करने का इरादा है कि नहीं ? इस पर जवाब देते हुए सरकारी वकील ने कहा कि हम उस केवल उसी शर्त पर ही भुगतान कर सकते हैं, जब हमसे कोई इसकी मांग करे। हालांकि वह यह कहने से भी नहीं चुके कि हमने ऐसा कोई वादा नहीं किया था । इस सारे मसले पर आने वाला निर्णय बेशक आर्थिक रूप से दिल्ली सरकार के अधिक बोझकारी नहीं है | लेकिन कोर्ट में वादे से मुकरने की बात करना केजरीवाल और आप पार्टी की इमेज को बड़ा डेंट लगा सकता है, विशेषकर पंजाब और उत्तराखंड में होने वाले चुनावों में |