आकर्षण का केंद्र बना KAINCHI DHAM फूल मालाओं और रंग-बिरंगी रोशनी से नहाया मंदिर
श्रद्धालुओं को आकर्षित कर रहा कैची धाम

नैनीताल में भवाली स्थित कैंची धाम उत्तराखंड के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है। बाबा नीम करौली महाराज द्वारा स्थापित यह धाम ना केवल भारत बल्कि विदेशों श्रद्धालुओं के बीच श्रद्धा आस्था का केंद्र बना हुआ है। यह धाम विशेष रूप से हनुमान जी को समर्पित है और हर साल 15 जून को यहां स्थापना दिवस बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। आगामी 15 जून को लेकर कैंची धाम को फूल मालाओं से दुल्हन की तरह सजाया गया है। जो बेहद सुंदर और आकर्षक नजर आ रहा है।
मेले में पहुंचे देश-विदेश से श्रद्धालु कहा जाता है कि 1961 में बाबा नीम करौली पहली बार इस स्थान पर आए और अपने सहयोगी पूर्णानंद जी के साथ मिलकर एक आश्रम की स्थापना की योजना बनाई। इसके तीन वर्ष बाद, 15 जून 1964 को बाबा ने यहां हनुमान जी की प्रतिमा की स्थापना की और इसी दिन से हर वर्ष यह स्थापना दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन विशेष भंडारे और मेले का आयोजन होता है जिसमें लाखों श्रद्धालु भाग लेते हैं।
माना जाता है हनुमान जी का अवतार: कैंची धाम को बाबा नीम करौली महाराज की चमत्कारी शक्तियों और उनके द्वारा किए गए असंख्य चमत्कारों के लिए भी जाना जाता है। यहां आने वाले भक्तों को मानसिक शांति, आत्मिक बल और कई बार अपनी समस्याओं का समाधान भी मिलता है। बाबा को हनुमान जी का अवतार माना जाता है और इसी कारण यह स्थान अत्यंत पावन और चमत्कारी माना जाता है।
कैची धाम दो पहाड़ियों के बीच स्थित है, जो एक कैंची की आकृति का आभास देती हैं और इसी से इसका नाम कैंची धाम पड़ा. हरे-भरे जंगल, शांत वातावरण और कल-कल बहती नदियों के बीच यह आश्रम यहां आने वाले को एक अलग ही आध्यात्मिक अनुभव देता है। कैंची धाम ना केवल भारतीय भक्तों के लिए, बल्कि विदेशी अनुयायियों के बीच भी लोकप्रिय है। एप्पल कंपनी के संस्थापक स्टीव जॉब्स और फेसबुक के मार्क जुकरबर्ग जैसे नामी लोग भी यहां दर्शन के लिए आ चुके हैं। कैंची धाम आज भी बाबा नीम करौली महाराज की भक्ति, सेवा और चमत्कारों का जीवंत प्रतीक है। यह स्थान हर उस व्यक्ति को अपनी ओर खींचता है जो आध्यात्मिक शांति, ईश्वर भक्ति और जीवन की सच्चाई को खोज रहा होता है।
